About Me

My photo
Nakhatrana-Bhuj, Kutch-Gujarat, India
World's No. 1 Database of Lord Bajrang Bali Statues and Temples in India and Abroad on Internet Social Media Site.**Dy. Manager-Instrumentation at Archean Chemical Industries Pvt. Ltd., Hajipir-Bhuj (Gujarat). Studied BE, Instrumentation and Control Engineering (First Class) at Govt. Engineering College, Gandhinagar affiliated to Gujarat University.**

Blog Archive

Sunday, 23 August 2015

पार्वती मंगल_श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी रचित

सुनि बचन सोधि सनेहु तुलसी साँच अबिचल पावनो I
भए प्रगट करुणासिंधु संकरु भाल चंद सुहावनो II
सुंदर गौर सरीर भूति भलि सोहइ I
लोचन भाल बिसाल बदनु मन मोहइ II
सैल कुमारि निहारि मनोहर मूरति I
सजल नयन हियँ हरषु पुलक तन पूरति II
पुनि पुनि करै प्रनामु न आवत कछु कहि I
देखौं सपन कि सौतुख ससि सेखर सहि II
सुफल मनोरथ भयउ गौरि सोहइ सुठि I
देखि रूप अनुराग महेस भए बस II
भावार्थ :- गोस्वामी तुलसीदासजी कहते हैं कि इस वचनको सुन उनका (पार्वतीजीका) सत्य, द्रढ़ और पवित्र प्रेम जानकर करुणासिंधु श्रीमहादेवजी प्रकट हो गये ; उनके ललाटमें चन्द्रमा शोभायमान हो रहा था I उनके (शिवजीके) कमनीय गौर शरीरपर विभूति अत्यन्त शोभित हो रही थी ; उनके (शिवजीके) नेत्र और ललाट विशाल थे तथा मुख मनको मोहित किये लेता था I उनकी (शिवजीकी) मनोहर मूर्ति को निहारकर शैलकुमारी पार्वतीजीके नेत्रोंमें जल भर आया I हृदयमें आनंद छा गया और शरीर पुलकावलीसे व्याप्त हो गया I वे (पार्वतीजी) बारंबार प्रणाम करने लगीं I उनके (पार्वतीजीके) कुछ कहते नहीं बनता था I (पार्वतीजी मन-ही-मन) विचारती हैं कि मैं स्वप्न देख रही हूँ या सचमुच सामने शिवजीका दर्शन कर रही हूँ I पार्वतीजीका मनोरथ सफल हो गया, (इससे वे और भी) सुहावनी लगती हैं I पार्वतीजीके रूप और अनुरागको देखकर महादेवजी उनके वशमें हो गये I

No comments:

Post a Comment