देखि सेतु अति सुंदर रचना । बिहसि कृपानिधि बोले बचना II
परम रम्य उत्तम यह धरनी । महिमा अमित जाइ नहिं बरनी II
करिहउँ इहाँ संभु थापना । मोरे हृदयँ परम कलपना II
भावार्थ :- सेतुकी अत्यंत सुंदर रचना देखकर कृपासिन्धु भगवान श्रीराम हँसकर वचन बोले- यह (यहाँ की) भूमि परम रमणीय और उत्तम हैं । इसकी असीम महिमा वर्णन नहीं की जा सकती । मैं यहाँ शिवलिंग (रामेश्वर)- की स्थापना करूँगा । मेरे हृदयमें यह महान संकल्प हैं I
परम रम्य उत्तम यह धरनी । महिमा अमित जाइ नहिं बरनी II
करिहउँ इहाँ संभु थापना । मोरे हृदयँ परम कलपना II
भावार्थ :- सेतुकी अत्यंत सुंदर रचना देखकर कृपासिन्धु भगवान श्रीराम हँसकर वचन बोले- यह (यहाँ की) भूमि परम रमणीय और उत्तम हैं । इसकी असीम महिमा वर्णन नहीं की जा सकती । मैं यहाँ शिवलिंग (रामेश्वर)- की स्थापना करूँगा । मेरे हृदयमें यह महान संकल्प हैं I
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