Meaning of Bajrang Baan :-
"Bajrang Baan" is a combination of three words i.e. "Vajra + Ang + Baan" which means :-
(1) Vajra :- The Fighting weapon of Devraaj Indra (Swarg’s Devata) which never fails and is very powerful.
(2) Ang :- It is referred to the part of Body.
(3) Baan :- Arrow.
So from the meaning of words we can easily understand that it means Mantra which go as fast as Arrow and achieves the desired aim and will not be deviated from the path and gives you the surety of hitting the aim.
बजरंग बाण {गोस्वामी तुलसीदास कृत} :-
दोहा :-
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥
चौपाई :-
जय हनुमन्त सन्त हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
जन के काज बिलंब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा । सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ॥
आगे जाइ लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुरलोका ॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा । सीता निरखि परमपद लीन्हा ॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा । अति आतुर जमकातर तोरा ॥
अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेटि लंक को जारा ॥
लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ॥
दोहा :-
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान ।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान ॥
"Bajrang Baan" is a combination of three words i.e. "Vajra + Ang + Baan" which means :-
(1) Vajra :- The Fighting weapon of Devraaj Indra (Swarg’s Devata) which never fails and is very powerful.
(2) Ang :- It is referred to the part of Body.
(3) Baan :- Arrow.
So from the meaning of words we can easily understand that it means Mantra which go as fast as Arrow and achieves the desired aim and will not be deviated from the path and gives you the surety of hitting the aim.
बजरंग बाण {गोस्वामी तुलसीदास कृत} :-
दोहा :-
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥
चौपाई :-
जय हनुमन्त सन्त हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
जन के काज बिलंब न कीजै । आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा । सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ॥
आगे जाइ लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुरलोका ॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा । सीता निरखि परमपद लीन्हा ॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा । अति आतुर जमकातर तोरा ॥
अक्षय कुमार मारि संहारा । लूम लपेटि लंक को जारा ॥
लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ॥
दोहा :-
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान ।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान ॥
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