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Nakhatrana-Bhuj, Kutch-Gujarat, India
World's No. 1 Database of Lord Bajrang Bali Statues and Temples in India and Abroad on Internet Social Media Site.**Dy. Manager-Instrumentation at Archean Chemical Industries Pvt. Ltd., Hajipir-Bhuj (Gujarat). Studied BE, Instrumentation and Control Engineering (First Class) at Govt. Engineering College, Gandhinagar affiliated to Gujarat University.**

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Monday, 2 November 2015

कवितावली_अयोध्याकाण्ड_केवटका पादप्रक्षालन {गोस्वामी तुलसीदास रचित}

एहि घाटतें थोरिक दूरि अहै कटि लौं जलु थाह दिखाइहौं जू I
परसें पगघूरि तरै तरनी, घरनी घर क्यों समुझाइहौं जू II
तुलसी अवलंबु न और कछू, लरिका केहि भाँति जिआइहौं जू I
बिना पग धोएँ हौं नाथ न नाव चढ़ाइहौं जू II
भावार्थ :- (केवट कहता है)- इस घाटसे थोड़ी ही दूरपर केवल कमरभर जल है I चलिये, मैं थाह दिखला दूँगा (मैं नावपर तो आपको ले नहीं जाऊँगा, क्योंकि यदि अहल्याके समान) आपकी चरणरजका स्पर्श कर मेरी नावका भी उद्धार हो गया तो मैं घरकी स्त्रीको कैसे समझाऊँगा ? मुझको (जीविकाके लिये) और कुछ अवलम्बन नहीं है I अतः फिर अपने बाल-बच्चोका पालन मैं किस प्रकार करूँगा ? हे नाथ ! बिना आपके चरण धोये मैं (आपको) नावपर नहीं चढ़ाऊँगा I

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