काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो I
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो II
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो I
को नहिं जानत है जगमें कपि, संकटमोचन नाम तिहारो II ८ II
भावार्थ :- हे परमवीर महाप्रभु हनुमानजी ! आप अपने कार्योंको देखकर विचार कीजिये कि आपने देवातओंके बड़े-बड़े कठिन कार्योंको पूरा किया है I तब फिर मुझ दीन-हीनका ऐसा कौन-सा संकट हो सकता है, जिसे आप दूर नहीं कर सकते ? हे महाप्रभु हनुमानजी ! हमारे जो कुछ भी संकट हैं आप उन्हें शीघ्र ही दूर करनेकी कृपा करें I संसारमें ऐसा कौन है जो आपके 'संकटमोचन' नामसे परिचित नहीं है ? II ८ II
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो II
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो I
को नहिं जानत है जगमें कपि, संकटमोचन नाम तिहारो II ८ II
भावार्थ :- हे परमवीर महाप्रभु हनुमानजी ! आप अपने कार्योंको देखकर विचार कीजिये कि आपने देवातओंके बड़े-बड़े कठिन कार्योंको पूरा किया है I तब फिर मुझ दीन-हीनका ऐसा कौन-सा संकट हो सकता है, जिसे आप दूर नहीं कर सकते ? हे महाप्रभु हनुमानजी ! हमारे जो कुछ भी संकट हैं आप उन्हें शीघ्र ही दूर करनेकी कृपा करें I संसारमें ऐसा कौन है जो आपके 'संकटमोचन' नामसे परिचित नहीं है ? II ८ II
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