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Nakhatrana-Bhuj, Kutch-Gujarat, India
World's No. 1 Database of Lord Bajrang Bali Statues and Temples in India and Abroad on Internet Social Media Site.**Dy. Manager-Instrumentation at Archean Chemical Industries Pvt. Ltd., Hajipir-Bhuj (Gujarat). Studied BE, Instrumentation and Control Engineering (First Class) at Govt. Engineering College, Gandhinagar affiliated to Gujarat University.**

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Thursday, 20 August 2015

लंकाकाण्ड_श्रीरामचरितमानस_गोस्वामी तुलसीदास कृत

उहाँ राम लछिमनहि निहारी । बोले बचन मनुज अनुसारी ॥
अर्ध राति गइ कपि नहिं आयउ । राम उठाइ अनुज उर लायउ ॥
नर गति भगत कृपाल देखाई I
प्रभु प्रलाप सुनि कान बिकल भए बानर निकर ।
आइ गयउ हनुमान जिमि करुना महँ बीर रस ॥
हरषि राम भेंटेउ हनुमाना ।
तुरत बैद तब कीन्ह उपाई । उठि बैठे लछिमन हरषाई ॥
हृदयँ लाइ प्रभु भेंटेउ भ्राता । हरषे सकल भालु कपि ब्राता ॥
भावार्थ :- वहाँ लक्ष्मणजीको देखकर भगवान श्रीराम साधारण मनुष्योंके अनुसार (समान) वचन बोले- आधी रात बीत चुकी है, हनुमान नहीं आए । यह कहकर श्रीरामजीने छोटे भाई लक्ष्मणको उठाकर हृदयसे लगा लिया I भक्तों पर कृपा करनेवाले भगवानने (लीला करके) मनुष्यकी दशा दिखलाई है I प्रभुके (लीलाके लिए किए गए) प्रलापको कानोंसे सुनकर वानरोंके समूह व्याकुल हो गए । (इतने में ही) हनुमानजी आ गए, जैसे करुणरस (के प्रसंग) में वीररस (का प्रसंग) आ गया हो I भगवान श्रीराम हर्षित होकर हनुमानजीसे गले मिले । तब वैद्य (सुषेण)- ने तुरंत उपाय किया, (जिससे) लक्ष्मणजी हर्षित होकर उठ बैठे I प्रभु श्रीरामजी भाई लक्ष्मणको हृदयसे लगाकर मिले । भालू और वानरोंके समूह सब हर्षित हो गए ।

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