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Nakhatrana-Bhuj, Kutch-Gujarat, India
World's No. 1 Database of Lord Bajrang Bali Statues and Temples in India and Abroad on Internet Social Media Site.**Dy. Manager-Instrumentation at Archean Chemical Industries Pvt. Ltd., Hajipir-Bhuj (Gujarat). Studied BE, Instrumentation and Control Engineering (First Class) at Govt. Engineering College, Gandhinagar affiliated to Gujarat University.**

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Wednesday, 23 September 2015

हनुमान बाहुक_गोस्वामी तुलसीदास लिखित

अच्छ-बिमर्दन कानन-भानि दसानन आनन भा न निहारो ।
बारिदनाद अकंपन कुंभकरन-से कुंजर केहरि-बारो ॥
राम-प्रताप-हुतासन कच्छ, बिपच्छ, समीर समीरदुलारो ।
पापतें, सापतें, ताप तिहूँतें सदा तुलसी कहँ सो रखवारो II १९ II
भावार्थ :- हे अक्षयकुमारको मारनेवाले हनुमानजी ! आपने अशोक-वाटिकाको विध्वंस किया और लंकापति रावण-जैसे प्रतापी योद्धाके मुखके तेजकी और देखातक नहीं अर्थात उसकी कुछ भी परवाह नहीं की । आप मेघनाद (इन्द्रजीत), अकम्पन और कुम्भकर्ण-सरीखे हाथियोंके मदको चूर्ण करनेमें किशोरावस्थाकें सिंह हैं । विपक्षरूप तिनकोंके ढेरके लिये भगवान श्रीरामका प्रताप अग्नितुल्य है और पवनकुमार उसके लिये पवनरूप हैं । वे पवननन्दन ही तुलसीदासको सर्वदा पाप, शाप और संताप तीनोंसे बचानेवाले हैं II १९ II

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