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Nakhatrana-Bhuj, Kutch-Gujarat, India
World's No. 1 Database of Lord Bajrang Bali Statues and Temples in India and Abroad on Internet Social Media Site.**Dy. Manager-Instrumentation at Archean Chemical Industries Pvt. Ltd., Hajipir-Bhuj (Gujarat). Studied BE, Instrumentation and Control Engineering (First Class) at Govt. Engineering College, Gandhinagar affiliated to Gujarat University.**

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Monday, 26 October 2015

गीतावली_अयोध्या काण्ड_वनके मार्गमें_गोस्वामी तुलसीदासजी कृत

कहौ सो बिपिन है धौं केतिक दूरि I
जहाँ गवन कियो, कुँवर कोसलपति, बूझति सिय पिय पतिहि बिसूरि II १ II
प्राननाथ परदेस पयादेहि चले सुख सकल तजे तृन तूरि I
करौं बयारि, बिलम्बिय बिटपतर, झारौं हौं चरन-सरोरुह-धूरि II २ II
भावार्थ :- (मार्गमें थक जानेसे) श्रीजानकीजी चिन्तित होकर भगवान श्रीरामसे पूछती हैं- 'हे कोसलराजकुमार ! आपने जहाँके लिये प्रस्थान किया है, वह वन यहाँसे कितनी दूर है ? II १ II हे प्राणनाथ ! आपने सब सुखोंको तृण तोड़कर त्याग दिया (सुखोंसे एकदम सम्बन्ध त्याग कर दिया) और अब परदेशको पैदल ही जा रहे हैं I (आप थक गये होंगे) कुछ देर इस वृक्षके नीचे विश्राम कीजिये; मैं आपको हवा करूँगीं और चरणकमलोंकी धूलि झाड़ूँगी' II २ II

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