प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया I राम लखन सीता मन बसिया II ८ II
भावार्थ :- हे हनुमानजी ! आप प्रभु श्रीराघवेन्द्रका चरित्र (उनकी पवित्र मंगलमयी रामायणकी कथा) सुननेके लिये सदा लालायित और उत्सुक (कथारसके आनंदमें निमग्न) रहते हैं I भगवान श्रीराम भगवती सीता और लक्ष्मण जति सदा आपके मनमंदिरमें विराजमान रहते हैं I
भावार्थ :- हे हनुमानजी ! आप प्रभु श्रीराघवेन्द्रका चरित्र (उनकी पवित्र मंगलमयी रामायणकी कथा) सुननेके लिये सदा लालायित और उत्सुक (कथारसके आनंदमें निमग्न) रहते हैं I भगवान श्रीराम भगवती सीता और लक्ष्मण जति सदा आपके मनमंदिरमें विराजमान रहते हैं I
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