About Me

My photo
Nakhatrana-Bhuj, Kutch-Gujarat, India
World's No. 1 Database of Lord Bajrang Bali Statues and Temples in India and Abroad on Internet Social Media Site.**Dy. Manager-Instrumentation at Archean Chemical Industries Pvt. Ltd., Hajipir-Bhuj (Gujarat). Studied BE, Instrumentation and Control Engineering (First Class) at Govt. Engineering College, Gandhinagar affiliated to Gujarat University.**

Blog Archive

Friday, 20 November 2015

हनुमान बाहुक [गोस्वामी तुलसीदास लिखित]

महाबल-सीम, महाभीम, महाबानइत, महाबीर बिदित बरायो रघुबीरको I
कुलिस-कठोरतनु जोरपरै रोर रन, करुना-कलित मन धारमिक धीरको II
दुर्जनको कालसो कराल पाल सज्जनको, सुमिरे हरनहार तुलसीकी पीरको I
सिय-सुखदायक दुलारो रघुनायकको, सेवक सहायक है साहसी समीरको II १० II
भावार्थ :- आप अत्यन्त पराक्रमकी हद, अतिशय कराल, बड़े बहादुर और रघुनाथजीद्वारा चुने हुए महाबलवान विख्यात योद्धा हैं I वज्रके समान कठोर शरीरवाले जिनके जोर पड़ने अर्थात बल करनेसे रणस्थलमें कोलाहल मच जाता है, सुन्दर करुणा एवं धैर्यके स्थान और मनसे धर्माचरण करनेवाले हैं I दुष्टोंके लिये कालके समान भयावने, सज्जनोंको पालनेवाले और स्मरण करनेसे तुलसीके दुःखको हरनेवाले हैं I सीताजीको सुख देनेवाले, रघुनाथजीके दुलारे और सेवकोंकी सहायता करनेमें पवनकुमार बड़े ही साहसी (हिम्मतवर) हैं II १० II

No comments:

Post a Comment