पंचमुख-छमुख-भृगुमुख्य भट-असुर-सुर, सर्व-सरि-समर समरत्थ सूरो I
बाँकुरो बीर बिरूदैत बिरूदावली, बेद बंदी बदत पैजपूरो II
जासु गुनगाथ रघुनाथ कह, जासु बल, बिपुल-जल-भरित जग-जलधि झूरो I
दुवन-दल-दमनको कौन तुलसीस है, पवनको पूत रजपुत रूरो II ३ II
भावार्थ :- भगवान शंकर, स्वामिकार्तिक, चिरंजीवी परशुराम, दैत्य और देवतावृन्द सबके युद्धरूपी नदीसे पार जानेमें योग्य योद्धा हैं । वेदरूपी वन्दीजन कहते हैं- आप पूरी प्रतिज्ञावाले चतुर योद्धा, बड़े कीर्तिमान और यशस्वी हैं । जिनके गुणोंकी कथाको रघुनाथजीने श्रीमुखसे कहा तथा जिनके अतिशय पराक्रमसे अपार जलसे भरा हुआ संसार-समुद्र सूख गया । तुलसीके स्वामी सुन्दर राजपूत (पवनकुमार)-के बिना राक्षसोंके दलका नाश करनेवाला दूसरा कौन है ? (कोई नहीं) II ३ II
बाँकुरो बीर बिरूदैत बिरूदावली, बेद बंदी बदत पैजपूरो II
जासु गुनगाथ रघुनाथ कह, जासु बल, बिपुल-जल-भरित जग-जलधि झूरो I
दुवन-दल-दमनको कौन तुलसीस है, पवनको पूत रजपुत रूरो II ३ II
भावार्थ :- भगवान शंकर, स्वामिकार्तिक, चिरंजीवी परशुराम, दैत्य और देवतावृन्द सबके युद्धरूपी नदीसे पार जानेमें योग्य योद्धा हैं । वेदरूपी वन्दीजन कहते हैं- आप पूरी प्रतिज्ञावाले चतुर योद्धा, बड़े कीर्तिमान और यशस्वी हैं । जिनके गुणोंकी कथाको रघुनाथजीने श्रीमुखसे कहा तथा जिनके अतिशय पराक्रमसे अपार जलसे भरा हुआ संसार-समुद्र सूख गया । तुलसीके स्वामी सुन्दर राजपूत (पवनकुमार)-के बिना राक्षसोंके दलका नाश करनेवाला दूसरा कौन है ? (कोई नहीं) II ३ II
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