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Nakhatrana-Bhuj, Kutch-Gujarat, India
World's No. 1 Database of Lord Bajrang Bali Statues and Temples in India and Abroad on Internet Social Media Site.**Dy. Manager-Instrumentation at Archean Chemical Industries Pvt. Ltd., Hajipir-Bhuj (Gujarat). Studied BE, Instrumentation and Control Engineering (First Class) at Govt. Engineering College, Gandhinagar affiliated to Gujarat University.**

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Saturday, 28 November 2015

गीतावली_चित्रकूट वर्णन_श्रीमद गोस्वामी तुलसीदासजी विरचित

चित्रकूट अति बिचित्र, सुन्दर बन, महि पबित्र, पावनि पय-सरित सकल मल-निकन्दिनी I
सानुज जहँ बसत राम, लोक-लोचनाभिराम, बाम अंग बामाबर बिस्व-बन्दिनी II
भावार्थ :- चित्रकूट पर्वत बड़ा ही विचित्र है; वहाँका वन बड़ा ही सुन्दर और पृथ्वी अतिशय पवित्र है I वहाँ सम्पूर्ण मलोंको नष्ट करनेवाली परम पावनी पयस्विनी (मन्दाकिनी) नदी है I वहीँ सकल लोकोंके नेत्रोंको प्रिय लगनेवाले भगवान श्रीराम अपने अनुज लक्ष्मणजीके सहित रहते हैं तथा उनके वाम भागमें विशवन्दिता रमणीरत्न वैदेही विराजती हैं I
झरना झर झिँग झिँग झिँग जलतरंगिनी I
मत्त मृग मराल मंद मंद गुंजत हैं अलि अलिंगिनी II
भावार्थ :- वहाँ नदियाँ झिग्-झिग् स्वर करती हुई जलके झरने झरती हैं I मत्त होकर मृग तथा हंस फुर्तीलापन दिखा रहे हैं और भौंरा-भौंरी मन्द मन्द गूँज रहे हैं I
फटिकसिला मृदु बिसाल, संकुल सुरतरु-तमाल, ललित लता-जाल हरति छबि बितानकी I
मन्दाकिनी-तटिनि-तीर, मंजुल मृग-बिहग-भीर II
भावार्थ :- (प्रभुको प्रसन्न करनेके लिये) विशाल फटिकशिला बड़ी कोमल हो गयी है; वहाँ उगे हुए कल्पवृक्षके समान तमालतरु तथा मनोहर लतासमूह बड़े-बड़े चाँदोवोंकी छबि छीन रहे हैं I मन्दाकिनी नदीके तीरपर मनोहर मृग और पक्षीयोंकी भीड़ लगी रहती है I
बिरचित तहँ परनसाल, अति बिचित्र लषणलाल, निवसत जहँ नित कृपालु राम-जानकी I
भावार्थ :- वहाँ लखनलालने एक बड़ी ही विचित्र पर्णशाला बनायीं है, जहाँ सदा ही कृपामय राम एवं जानकीजी निवास करते हैं I

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