जनक अनुज तनया दोउ परम मनोरम I
जेठि भरत कहँ ब्याहि रूप रति सय सम II १५३ II
सिय लघु भगिनि लखन कहुँ रूप उजागरि I
लखन अनुज श्रुतकीरति सब गुन आगरि II १५४ II
राम बिबाह समान बिबाह तीनिउ भए I
जीवन फल लोचन फल बिधि सब कहँ दए II १५५ II
भावार्थ :- मिथिला नरेश महाराज जनकके छोटे भाई (कुशध्वज)- की जो परम सुन्दरी कन्याएँ थीं, उनमें बड़ी (माण्डवी)- का विवाह भरतजीके साथ हुआ, जो सुन्दरतामें सैकड़ों रतियोंके समान थी II १५३ II सीताजीकी छोटी बहिन (उर्मिला), लक्ष्मणजीको ब्याही गयी जो रूपके कारण अत्यन्त प्रसिद्ध थीं; और लक्ष्मणजीके छोटे भाई शत्रुघ्नजीका विवाह श्रुतकीर्तिसे हुआ, जो सब गुणोंकी खानि थी II १५४ II श्रीरामचन्द्रजीके विवाहके समान ही (अन्य) तीनों विवाह (भी) हुए I इस प्रकार विधाताने सभीको जीवनका फल और नेत्रोंका फल दिया II १५५ II
जेठि भरत कहँ ब्याहि रूप रति सय सम II १५३ II
सिय लघु भगिनि लखन कहुँ रूप उजागरि I
लखन अनुज श्रुतकीरति सब गुन आगरि II १५४ II
राम बिबाह समान बिबाह तीनिउ भए I
जीवन फल लोचन फल बिधि सब कहँ दए II १५५ II
भावार्थ :- मिथिला नरेश महाराज जनकके छोटे भाई (कुशध्वज)- की जो परम सुन्दरी कन्याएँ थीं, उनमें बड़ी (माण्डवी)- का विवाह भरतजीके साथ हुआ, जो सुन्दरतामें सैकड़ों रतियोंके समान थी II १५३ II सीताजीकी छोटी बहिन (उर्मिला), लक्ष्मणजीको ब्याही गयी जो रूपके कारण अत्यन्त प्रसिद्ध थीं; और लक्ष्मणजीके छोटे भाई शत्रुघ्नजीका विवाह श्रुतकीर्तिसे हुआ, जो सब गुणोंकी खानि थी II १५४ II श्रीरामचन्द्रजीके विवाहके समान ही (अन्य) तीनों विवाह (भी) हुए I इस प्रकार विधाताने सभीको जीवनका फल और नेत्रोंका फल दिया II १५५ II
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