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Nakhatrana-Bhuj, Kutch-Gujarat, India
World's No. 1 Database of Lord Bajrang Bali Statues and Temples in India and Abroad on Internet Social Media Site.**Dy. Manager-Instrumentation at Archean Chemical Industries Pvt. Ltd., Hajipir-Bhuj (Gujarat). Studied BE, Instrumentation and Control Engineering (First Class) at Govt. Engineering College, Gandhinagar affiliated to Gujarat University.**

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Thursday 15 October 2015

विनय पत्रिका_हनुमत स्तुति {गोस्वामी तुलसीदास लिखित}

जयति सौमित्रि-रघुनंदनानंदकर, ऋक्ष-कपि-कटक-संघट-विधायी I
बद्ध-वारिधि-सेतु अमर-मंगल-हेतु, भानुकुलकेतु-रण-विजयदायी II ६ II
जयति जय वज्रतनु दशन नख मुख विकट, चंड-भुजदंड तरू-शैल-पानी I
समर-तैलिक-यंत्र तिल-तमीचर-निकर, पेरि डारे सुभट घालि घानी II ७ II
भावार्थ :- तुम्हारी जय हो I तुम श्रीराम-लक्ष्मणको आनन्द देनेवाले, रीछ और बंदरोंकी सेना इकट्ठी कर समुद्रपर पुल बाँधनेवाले, देवताओंका कल्याण करनेवाले और सूर्यकुल-केतु भगवान श्रीरामको संग्राममें विजय-लाभ करानेवाले हो II ६ II तुम्हारी जय हो, जय हो I तुम्हारा शरीर, दाँत, नख और विकराल मुख वज्रके समान है I तुम्हारे भुजदण्ड बड़े ही प्रचण्ड हैं, तुम वृक्षों और पर्वतोंको हाथोंपर उठानेवाले हो I तुमने संग्रामरूपी कोल्हूमें राक्षसोंके समूह और बड़े-बड़े योद्धारुपी तिलोंको डाल-डालकर घानीकी तरह पेर डाला II ७ II

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